बहुत सुन्दर कहानी मेहरबान खान
बुद्धी की परीक्षा*जरूर पढ़ें
एक बार एक राजा की कोई संतान नहीं थी, उम्र ढलती जा रही थी...
बहुत प्रयास किए, कई हकीमों वैद्यों को दिखाया परन्तु नतीजा सिफर रहा।
राजा को चिन्ता सताने लगी कि मेरे बाद राज पाट कौन संभालेगा।
राजा को उपाय सूझा, महल के भीतर एक नया महल बनवाया, उसके मुख्य द्वार पर बीजगणित का एक सूत्र लिखवाया ...
और पूरे राज्य में मुनादी पिटवाई कि जो भी व्यक्ति इस सूत्र को हल कर लेगा उसके बाद यह द्वार खुल जायेगा।
वही इस महल का स्वामी व राज्य का उत्तराधिकारी होगा।
अब पूरे राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ व् विद्वान पहुंचने लगे पर कोई भी उस सूत्र को हल नहीं कर सका।
राजा की चिन्ता बढ़ने लगी। कुछ दिन बाद प्रयास करने वाले आने बन्द हो गए।
राजा ने पास के राज्यों में भी ढिंढोरा पिटवा दिया प्रलोभन अच्छा था बहुत से लोग आने लगे पर किसी से भी सूत्र हल नहीं हुआ ।
धीरे धीरे लोग आने कम हो गए, एक दिन केवल दो ही लोग पहुंचे जिनमे से एक गणितज्ञ थे और एक साधारण युवक,
युवक के जीर्ण शीर्ण वस्त्र देख कर द्वारपाल उसे क्रोधित हो भगाने लगे - "तुम से न हो सकेगा, जाओ"
राजा की दृष्टि पड़ी तो युवक को रुकवाया गया, राजा बोले,"पहले युवक को ही अवसर प्रदान किया जाए।"
युवक ने कहा कि पहले विद्वान व्यक्ति को ही अवसर दें, यदि इनसे न हो सका तब प्रयास करूंगा।
राजा बोले ठीक है, आप आसन ग्रहण करें।
वह गणितज्ञ शाम ढलने तक प्रयास करता रहा पर कुछ न हुआ।
अब युवक को बुलाया गया, युवक ने जाकर द्वार पर हाथ लगा कर धक्का दिया, द्वार खुल गया।
महल करतल ध्वनि से गूंज उठा।
राजा ने पूछा, "आप कैसे कर पाए ?"
युवक ने कहा कि जब विद्वान व्यक्ति पूरे दिन जूझ रहे थे तब मुझे लगा कि यह भी हो सकता है कि ये कोई बीजगणित सूत्र न ही हो।
एवम द्वार पर बुद्धि परखने के लिए लिखा गया हो।"
*जीवन मे कई बार हम सभी किसी समस्या से जूझते रहते हैं जबकि वो कोई समस्या होती ही नहीं...!!*
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