लोकतंत्र मैं अभिव्यक्ति की आजादी के मायने दीप्ति डांगे मुंबई

 लेख


शिर्षक  अभिव्यक्ति की आजादी


लेखिका दीप्ति डांगे, मुम्बई



कोई भी लोकतांत्रिक सरकार अपने देश की सरकार को चुनने के अधिकार सहित अपने लोगों को विभिन्न मौलिक अधिकार देती है। जैसे- समानता, स्वतंत्रता,धार्मिक स्वतंत्रता, और शिक्षा का अधिकार।जो किसी भी लोकतांत्रिक देश की आधारशिला माने जाते है।लेकिन सबसे महत्वपूर्ण अधिकार अभिव्यक्ति की आजादी है।

ऐसा माना जाता है कि लोकतंत्र मे कोई भी देश और धर्म इस अधिकार को छीन नहीं सकता क्योंकि इससे मानव का वैयक्तिक विकास के साथ साथ समाज की सामाजिकता भी बनी रहती है और उसका विकास भी होता है।अगर कोई आपके मत से सहमत नही तो यह कोई समस्या नही।नजरिये अलग होने से हम सबकी अभिव्यक्ति अलग अलग होती है।

अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब किसी भी विषय पर अपने विचारों को व्यक्त करना।और हर व्यक्ति को अपने विचारों को व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ दो प्रकार के संवादों से है-एक, मीडिया द्वारा सूचनात्मक प्रकार के संवाद तथा दूसरा, व्यक्तिगत स्तर पर विचारों या मतों का प्रकाशन जिसमे

भाषण या वक्तव्य देने से लेकर लिखने और पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित करने, चित्र और व्यंग्य चित्र बनाकर उन्हें प्रदर्शित और प्रकाशित करने, नाटक और नुक्कड़ नाटक लिखने-करने, डॉक्यूमेंटरी और फीचर फिल्में बनाने-दिखाने, रेडियो और टेलीविजन के कार्यक्रम प्रस्तुत करना, सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया, विरोध प्रकट करने के लिए सड़कों पर जुलूस निकालने और नारे लगाने, धरना-प्रदर्शन आदि।

1950 में भारत का संविधान बना और हमने जैसे ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया वैसे ही हमको अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार मिल गया।

लेकिन कुछ समय से इस आजादी का न केवल दुरूपयोग हो रहा है बल्कि इसकी उपयोगिता भी कम होती जा रही है आज कुछ लोग इसका नाजायज फायदा उठाते हुए वो किसी के भी बारे में कुछ भी बोल सकते हैं बिना इस बात का ख्याल रखे की उससे किसीकी भावनाओं को आहत होगा।देश विरोधी ताकते पनपने लगी है।जो संविधान की इन मौलिक अधिकार का  गलत तरीके से व्याख्या करती हैं।देश में अराजकता फैलाने में अहम् भूमिका निभाती है।देश को धर्म के आधार पर बांटने का प्रयास करती है ।देश में आज इन्ही देश विरोधी ताकतों की शह पर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाता है तो कोई भारत मुर्दाबाद और देश के टुकड़े टुकड़े के नारे लगाता है और कुछ राजनैतिक दल वोट बैंक की खातिर ऐसे लोगों की तरफदारी करके उनका साथ देते है और उनको संरक्षण देते हैं। ऐसे देश विरोधी लोग इन्हीं राजनैतिक दलों कि शह पर देश का माहौल खराब करने की कोशिशें करते हैं।अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ ये नहीं है कि देश की बर्बादी के नारे लगाए जाएँ और देश के टुकड़े-टुकड़े करने की कसमें खायी जायें। देश की अखंडता को तोड़ने के लिए आंदोलन करते है, जन धन को नुकसान पहुँचाते है,हिसा भड़काते है, देश की गरिमा को तार तार कर देते है,जो देश की अखंडता और विकास के लिए घातक है। आधुनिक समय मे सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया,समाज की राय व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम बन गया। आज करोड़ो भारतीय सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया का प्रयोग कर रहे है।पर आज ये माध्यम सामाजिक समरसता को बिगाड़ने और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बाँटने ,धार्मिक भावनाओं को भड़काने का कार्ये कर रहा है। आज सोशल मीडिया फेक न्यूज़ और हेट स्पीच फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।किसी भी सूचना को  तोड़-मरोड़कर कर और फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैलाया जा रहा है, जिनके कारण दंगे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।जिससे समाज में तनाव पैदा हो रहा है।

संविधान हमें अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य निर्वहन का दायित्व देता है।इसलिये अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के साथ हमारा ये कर्तव्य बनता है की अपने विचार प्रस्तुत करते समय इस बात ध्यान में रखना चाहिए कि हमारी स्वन्त्रता हमारी निजता तक ही सीमित हो और उस निजता से किसी अन्य व्यक्ति, समाज या देश पे दुष्प्रभाव नही पड़ना चाहिये।

रिपोटर चंद्रकांत सी पूजारी

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