नव दलित लेखक संघ ने संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी को लिखा पत्र
दिल्ली। सस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में हुए तीन दिवसीय (16 जून से 18 जून 2022) अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के संदर्भ में नव दलित लेखक संघ ने संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी को पत्र लिखा है। जिसमें देश भर से करीब पिचासी दलित साहित्यकारों ने माना कि अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव में दलित संगठनों से भी दलित साहित्यकारों को बुलाया जाना चाहिए था। साथ ही उक्त कार्यक्रम में दलित विमर्श से जुड़ा सत्र अलग से रखा जाना चाहिए था। पत्र में यह भी निवेदन किया गया कि भविष्य में इस तरह के होने वाले कार्यक्रमों में दलित संगठनों से जुड़े प्रतिनिधि साहित्यकारों को भी बुलाया जाना चाहिए। सर्वविदित है कि आज दलित साहित्य न सिर्फ देश भर में लिखा पढ़ा जा रहा है बल्कि विदेशों में भी इसकी स्पष्ट पहचान बन चुकी है। देश विदेश के विविध कॉलेज और यूनिवर्सिटी आदि के पाठ्यक्रमों में दलित साहित्य पढ़ाया जा रहा है, इसलिए किसी भी संदर्भ में दलित साहित्य की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
पत्र लिखने से पूर्व नव दलित लेखक संघ ने शिमला में हुए तीन दिवसीय कार्यक्रम के संदर्भ में पहली मीटिंग ऑनलाइन 18 जून को की थी। जिसकी अध्यक्षता नदलेस के वर्तमान अध्यक्ष डा अनिल कुमार ने की थी और संचालन महासचिव डा. अमित धर्मसिंह ने किया था। मीटिंग में कर्मशील भारती, डा. हंसराज सुमन, पुष्पा विवेक, राजन तनवर, डा. कौशल पंवार, आर. पी. सोनकर, चितरंजन गोप लुकाटी, डा. हरकेश राठी, डा. शंकर लाल आदि ने उक्त संदर्भ में विचार रखे थे। सभी ने माना था कि उक्त संदर्भ में उचित संज्ञान लिया जाना चाहिए। इनके अतिरिक्त मीटिंग में उपस्थित साहित्यकार आर. सी. मीणा, प्रदीप कुमार ठाकुर, लोकेश चौहान, गीता कृष्णांगी, ज्योति पासवान, कार्तिक चौधरी, योगेंद्र सिंह, मोहन लाल सोनल मनहंस, नरेश संघवाहिया, डा. विजय लाल बैरवा, अरविंद भारती, प्रदीप कुमार गौतम, बृजपाल सहज, नवीन कुमार, राज बंशी, रितेश रावत, दीपक कुमार,श्रीलाल बौद्ध आदि दलित साहित्यकारों ने भी उक्त बात का समर्थन किया था। इस संदर्भ में नव दलित लेखक संघ ने 24 जून 2022 को दूसरी मीटिंग ऑफलाइन रखी। जिसकी अध्यक्षता पुनः डा. अनिल कुमार ने की और संचालन डा. अमित धर्मसिंह ने किया। मीटिंग में प्रमुख रूप से कर्मशील भारती, बंशीधर नाहरवाल, डा. राजन कुमार, डा. नरेश कुमार टांक, महिपाल, डा. सुरेंद्र कुमार, डा. हरकेश राठी, बृजपाल सहज, आर. सी. विवेक, पुष्पा विवेक, रोक्सी, डा. अमिता मेहरोलिया, डा. गीता कृष्णांगी, उमर शाह आदि साहित्यकार उपस्थित रहे और उक्त संदर्भ में अपने विचार तथा मत रखे। सर्वसम्मति से माना गया कि उक्त संदर्भ में संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी को पत्र लिखा जाना चाहिए, ताकि भविष्य में होने वाले संबंधित कार्यक्रमों में दलित साहित्यकारों की उचित उपस्थिति हो सके।
तत्पश्चात, पत्र लिखकर सार्वजनिक किया गया जिसका समर्थन करने वाले दलित साहित्यकारों में रतनकुमार सांभरिया, डा. हरिकेश गौतम, रिछपाल विद्रोही, हरीश पांडल, राजेंद्र कुमार राज़, भूपसिंह भारती, आर. एस. आघात, डा. राकेश डाबरिया, असंघघोष, समय सिंह जोल, अंजलि, सौरन सिंह बौद्ध, गोपेन्द्र कुमार सिन्हा गौतम, रामश्रेष्ठ दीवाना, कश्मीर सिंह, बी. एल. तोंदवाल, वचन मेघ, सरिता भारत, श्याम निर्मोही, डा. खन्ना प्रसाद अमीन, एन. प्रीति बौद्ध, अनिल बिडनाल, अनिल कुमार गौतम, अजय यतीश, मास्टर भूतराम जाखल, अमित रामपुरी, भीम राव गणवीर, राम स्नेही विनय, सतीश खनगवाल, धीरज वनकर, राजेंद्र सजल, डा. नाविला सत्यादास, उमेश राज, डा. सुमित्रा मेहरोल, वाई, एस. विद्रोही, रामसूरत भरद्वाज, बुद्धि सागर गौतम, जसवंत सिंह जन्मेजय, जयराम पासवान, दीपक मेवाती आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
प्रेषक :
डा. अमित धर्मसिंह
महासचिव, नदलेस
01/07/2022
9310044324