डॉ. अमित धर्मसिंह के काव्य संग्रह कूड़ी के गुलाब का हुआ लोकार्पण
नव दलित लेखक संघ, दिल्ली के तत्वावधान में लोकार्पण एवं काव्यपाठ गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी दो चरणों में विभक्त रही। पहले चरण में डॉ. अमित धर्मसिंह के काव्य संग्रह कूड़ी के गुलाब का लोकार्पण हुआ। दूसरे चरण में उपस्थित कवियों का काव्यपाठ हुआ। शाहदरा स्थित संघाराम बुद्ध विहार में आयोजित गोष्ठी का सफल संयोजन डॉ. गीता कृष्णांगी ने किया। अध्यक्षता बंशीधर नाहरवाल ने की। पहले चरण का संचालन सलीमा ने और दूसरे चरण का संचालन मामचंद सागर ने किया। गोष्ठी में उक्त के अतिरिक्त क्रमशः एदल सिंह, फूलसिंह कुस्तवार, राधेश्याम कांसोटिया, डॉ. ऊषा सिंह, पुष्पा विवेक, बृजपाल सहज, जोगेंद्र सिंह, डॉ. कुसुम वियोगी उर्फ़ कबीर कात्यायन, अरुण कुमार पासवान, शीलबोधि, दिनेश आनंद, डॉ. घनश्याम दास, मदनलाल राज़, राजपाल सिंह राजा, इंद्रजीत सुकुमार, भिक्षु अश्वगोष एवं तेजपाल सिंह तेज (ऑनलाइन) आदि उपस्थित रहे। सर्वप्रथम डॉ. अमित धर्मसिंह ने बताया कि "कूड़ी के गुलाब में दो हजार तीन से दो हजार सत्रह के बीच की एक सौ इक्कीस कविताओं को संग्रहीत किया गया है। सभी कविताओं को दो चरणों में विभक्त करते हुए बढ़ते कालक्रम में रखा गया है ताकि कविता, कवित्व और विचार के विकासक्रम को समझा जा सके।" उन्होंने कूड़ी के गुलाब, एक घर का जलना, देखो, उन्माद, हाथ एक आदि कई कविताओं का पाठ भी किया। डॉ. गीता कृष्णांगी ने बताया कि "यह संग्रह दो हजार इक्कीस से प्रकाशनाधीन था। मुझे बेहद खुशी है कि देर से ही सही, आखिर, यह प्रकाशित हुआ। मुझे इसकी एक-एक कविता बहुत पसंद है।" उन्होंने हवा से भरे लोग, प्रेमालाप, जमीन का आदमी आदि कविताओं का प्रभावी पाठ किया।
अरुण कुमार पासवान ने कहा कि "मैं अमित धर्मसिंह की कविताएं, इससे पूर्व हमारे गांव में हमारा क्या है! में पढ़ चुका हूं। इनकी कविताएं पढ़कर मैंने जाना कि जमीन से जुड़ी कविताएं कैसी होती है। प्रस्तुत संग्रह भी अमित जी की लाजवाब कविताओं से समृद्ध है।" उन्होंने कविता शीर्षक से एक कविता का पाठ भी किया। डॉ. कुसुम वियोगी ने कहा कि "गांव में तो हम भी रहे हैं और वे सारी चीजें हमने भी देखी, जो अमित धर्मसिंह ने देखी लेकिन जो दृष्टि अमित धर्मसिंह के पास है, वह हमारे पास नहीं है। तभी तो उनकी कविता में उनके भाव, अनुभव और दृष्टि बहुत अधिक सूक्ष्म और पैने रूप में सामने आती है।" शीलबोधि ने कहा कि मैंने अमित धर्मसिंह की कुछ कविताएं पहले भी पढ़ीं और अभी भी पढ़ीं। मुझे उनकी कविताएं मेरी अपनी ही कविताएं लगती हैं। मुझे लगता है कि जो कुछ मुझे लिखना था, वह अमित धर्मसिंह पहले ही लिख चुके हैं।" उन्होंने संग्रह की एक कविता विमर्शों की लड़ाई का पाठ भी किया। तेजपाल सिंह तेज ने ऑनलाइन टिप्पणी देते हुए कहा कि "कूड़ी के गुलाब काव्य संग्रह का शीर्षक ही इतना लाजवाब है कि सिर्फ शीर्षक पढ़कर ही पूरी कविता समझ में आ जाती है। यानी अकेला शीर्षक ही गांव का पूरा परिवेश आंखों के सामने उभार देता है।" इनके अतिरिक्त सलीमा ने हाथ दो, डॉ. उषा सिंह ने उन्माद, डॉ. घनश्याम दास ने खाना आदि शीर्षकों से संग्रह की कविताओं का प्रभावी पाठ किया और उन पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। तत्पश्चात, पुष्पा विवेक, दिनेश आनंद, इंद्रजीत सुकुमार, एदलसिंह, फूलसिंह कुस्तवार, मामचंद सागर, मदनलाल राज़, जोगेंद्र सिंह आदि ने संग्रह के प्रकाशन पर अमित धर्मसिंह को हार्दिक बधाई देते हुए काव्यपाठ किया। अध्यक्षता कर रहे बंशीधर नाहरवाल ने कहा कि "इस बेहद लाजवाब संग्रह के लिए डॉ. अमित धर्मसिंह जी निश्चित ही सराहना और बधाई के पात्र हैं।" सभी साहित्यकारों का धन्यवाद ज्ञापन गोष्ठी-संयोजक डॉ. गीता कृष्णांगी ने किया।
प्रेषक :
बृजपाल सहज
प्रचार सचिव, नदलेस
30/12/2024
93127 10277